भाव आज बात करते है अंजली महाजन की, जिनकी नस नस में सामाजिक जागरूता , रोम रोम में उत्साह और आश्चर्य चकित करने वाली प्रतिभा बसी है। अन्य लोगों को हैरान करने वाले कई कार्य चलते रहते है। केवल उन्नीस वर्ष की छोटी उम्र में कैंसर के कारण अपनी बेटी को खो देने का दर्द, पति केशवराव का बढ़ता पार्किंसंस रोग , १०५ वर्ष की सासूमाँ तथा उनकी बिमारी के कारण बदलते मानसिक और शारीरिक घटक , इन सबसे न घबराते हुए इनका कार्य चलता रहता है। इस कारण वह अक्सर हमें भावुक क्षण दे जाती हैं।
हाल ही में लोकसत्ता दैनिक में , प्रेरणा इस सन्दर्भ में एक लेख प्रकाशित हुआ है। इस लेख में इनके कार्य में बहुत कुछ पता चला है। लेकिन इनके साथ बिताएं हुए क्षणों में हम इनके कई रूपों से वाकिफ हुए है और हर बार इनकी कार्यशीलता को देखकर अचंबित भी हुए है। अंजली पार्किंसंस मित्रमण्डल की कार्यकारी समिति की सदस्या हैं इस लिए हमारे कई उपक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती है। पर मेरे अनुसार उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य रहा है , उनका रक्तदान करना। उनका ब्लड ग्रुप है O RH नेगेटिव। इसकी जानकारी उन्हें पहली बार गर्भवती होने पर हुई। ये काफी दुर्लभ ब्लड ग्रुप है। इसे बाकी ब्लड ग्रूपों की तरह ब्लड बैंक में जमा कर नहीं रखा जा सकता , इस कारणवश इसे ज़रुरत पड़ने पर दिया जाता है। अंजली जब पहली बार रक्तदान करने गयी तब हिमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम होने पर वह रक्तदान करने में असमर्थ रही। उन्हें इस बात का उन्हें काफी दुःख हुआ। डॉक्टर से सलाह कर अंजली ने सही आहार लेना शुरू किया जो वह आजतक लेकर इसकी बदौलत इक्कीस बार रक्तदान कर चुकी हैं। आज भी कई हस्पतालों में इनका नाम रक्त दान करने वालों की सूची में है। जब भी O RH नेगेटिव रक्त की ज़रूरत पड़ने पर इन्हें बुलाया जाता है ये बाकी सारे काम छोड़कर वहां पहुँच जाती है। अंजली ने रक्तदान कर कई ज़रूरतमंदों की जान बचाई है। इतनी बार रक्तदान करने पर इनके पास कई अलग अलग अनुभव है। जिन रोगियों को ये रक्त देती है वह और उनके परिवार के सदस्य इनके कृतज्ञ रहते है। मैंने अंजली को कई बार इन अनुभवों को लिखने का सुझाव दिया है।
मुझे अंजली की एक बात जो बहुत अचंबित करती है वो है इसका हर कार्य को तलीनता से करना। जब ये स्कूल की प्रधानाचार्य थी तब इन्होंने कई सामाजिक उपक्रम किये। और इसके साथ ये जागरूता अंजली ने अपने सहकर्मियों तथा विद्यार्थियों में भी उजागर की , ये कहना गलत नहीं होगा। एक जिम्मेदारी वाले पद पर होने के कारण वे ये सब कर पाने का मौका अंजली को मिला। ये बात अक्सर अंजली के कार्य के बारे में लिखी गयी है।
इन दिंनो उनक घर में काफी विकट परिस्थिति है ये उसके बताने पर हमें पता चला। केशवरावजी का पार्किंसंस रोग तीव्रता से बढ़ गया है, उनके लिए एक देखभाल करने वाला नियुक्त करने के बावजूद अंजली को उन पर काफी ध्यान देना पड़ता है। अंजली की सास को भी बिमारी के कारण बिस्तर पर पड़े रहने की वजह से काफी तकलीफें शुरू हो गयीं है। शारीरक रूप से कमजोर लेकिन स्मृति शक्ति सही होने के कारण उनकी कहे अनुसार ही अंजली और शुभचिंतको को काम करना पड़ता है। इस के साथ रिश्तेदारी और परिवार के सारे काम और कर्तव्य निभाने पड़ते है। इसे भी अंजली पूरी शिद्धत से करती है। इस कारण इस वर्ष वो कई कार्यों में शामिल नहीं हो पायी। अंजली दिवाली अंको के लिए काफी लेख लिखती है। कम से कम ५-७ दिवाली अंकों में इनके लिखे लेख छपते है। कई कवि सम्मेलनों में सम्मलित हो अंजली काव्य पाठ करती है। लेकिन आजकल बिमार पति तथा वृद्ध सास की सेवा करने में अंजली बाकी काम न कर पाने की छटपाहट अंजली महसूस करती है। लेकिन इसमें कहीं शिकायत नहीं होती। मैं ध्यान नहीं दे पायी ये ही उसकी भावना होती है। फिरभी कई पुरूस्कार समारोह में उपस्थित रह कर पुरुस्कार लेती हैं। हमारे मंडल की वर्षगांठ के अवसर पर वह स्वयं बनाये हुए ग्रीटिंग कार्ड लाती है। कुछ समय पहले वह खुद बीमार थी , साथ ही केशवरावजी भी बीमार थे , फिरभी अंजली से ग्रीटिंग कार्ड बना रखा था, जिसे हम में से कोई जाकर उसके घर से लेकर आया।
इतना सब होने पर भी हिमोग्लोबिन कम न हो इसका अंजली पूरा पूरा ध्यान रखती है। इस बात का मुझे बेहद आश्चर्य होता है। इतनी सब समस्याओं के बावजूद अपने आहार पर ध्यान देना ये बहुत प्रशंसनीय बात है। अंजली अब सांठ वर्ष की होने वाली है और इस बढ़ती उम्र में वो रक्त दान कर पाएंगी या नहीं इसकी चिंता उसे लगी रहती थी। हाल ही में उसे पता चला कि वो पैंसठ वर्ष की होने तक रक्तदान कर सकती हैं। जब ये बात अंजली ने उत्साह पूर्वक मुझे और सविता से कही तब सविता ने एकदम सहजता से कहा "अंजली तेरे रूप में सच में हमें प्रभु के दर्शन हो गए"
सच में अंजली , ऐसे समय पर तुझे क्या कहें ये समझ से परे है, तेरी कर्तव्ये निष्ठा से हम सभी विभोर हो जाते है।तू हमारे परिवार की सदस्या है , हमारी इतनी करीबी है इस बात का हमें अभिमान है।