Quantcast
top of page

किस्से पार्किंसंस के #१- शोभना ताई तीर्थली

Writer's picture: Harsha  KhannaHarsha Khanna

Updated: Aug 22, 2024


Image of Flower

दीनानाथ हॉस्पिटल में पार्किंसंस मित्रमंडल की मीटिंग थी। मीटिंग ख़त्म होने पर हम बाहर आये। रिक्शा स्टैंड पर रिक्शा के इंतज़ार में हमारे पार्किंसंस से पीड़ित काफी लोग थे। हम रिक्शा में बैठ गए। रिक्शावाला बोला, "माताजी , अगर बुरा ना माने तो एक बात पूछूं ?" मैंने उत्तर दिया , "नहीं। पूछो क्या पूछना है।" वो बोला , "जितने भी लोग हॉस्पिटल से बाहर आये उनके हाथ कांप रहे थे, ऐसा क्यों , ये कैसी सभा थी?" उसका चेहरा मैंने पढ़ लिया , कि उसे लग रहा था कि कहीं ये सब लोग शराबी तो नहीं। उसी समय मेरे अंदर की शिक्षिका बाहर आ गयी। मैंने उसको बताया कि ये पार्किंसंस के पीड़ित है और फिर ये भी समझाया की पार्किंसंस क्या है, सभा कैसी होती है।


पार्किंसंस के रोगी जब बाहर निकलते है तब उन्हें इन्हीं परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। उस वजह से पार्किंसंस के पीड़ितों के मन में हीन भावना निर्माण हो जाती है और वह बाहर निकलने से कतराने लगते है। उसपर से पार्किंसंस की वजह से बोलने में भी दिक्कत होती है , जुबान लड़खड़ाती है , इस कारण लोग उन्हें शराबी समझने लगते है। इन्हीं कई कारणों से लोगों के मन में ग़लतफ़हमी हो जाती है , इस लिए पार्किंसंस से पीड़ित बाहर निकलना कम कर देते है। और अपने खोल में चले जाते है, जिससे पार्किंसंस से ज्यादा वे अवसाद के शिकार हो जाते है।


हमारे पार्किंसंस के रोगी समझते है की बाहर घूमते हुए उनको लेकर लोगों में कोई गलतफहमी ना हो , ऐसे मुझे लगता है।ये ही वजह है कि मैं समाज में पार्किंसंस के बारे में ज्यादा जानकारी फैलाना चाहती हूँ।अपने इन लेखों द्वारा मैं ये ही पार्किंसंस के बारे में समझाने का प्रयत्न करूंगी।

40 views
bottom of page